आर्ष गुरुकुलीय शिक्षा पाठ्यक्रम

By Vijay Singh Uncategorized
Wishlist Share
Share Course
Page Link
Share On Social Media

About Course

‘आर्ष गुरुकुलीय शिक्षा पाठ्यक्रम’ विभिन्न आर्ष गुरुकुलों में पढ़ाया जाने वाला पाठ्यक्रम है। आर्ष गुरुकुलों में कक्षा-६ से कक्षा-१२ तक ‘हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड’ का पाठ्यक्रम तथा शास्त्री और आचार्य की कक्षाओं में ‘महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक’ का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है।

आर्ष गुरुकुलीय शिक्षा पाठ्यक्रम

‘आर्ष गुरुकुलीय शिक्षा पाठ्यक्रम’ में विभिन्न आर्ष गुरुकुलों में पढ़ाये जाने वाले पाठ्यक्रम का परिचय मात्र है। इसमें विभिन्न कक्षाओं में पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों तथा परीक्षा हेतु पाठ्यसामग्री का परिचय मात्र है।

गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली

गुरुकुलीय शिक्षा भारत में एक प्राचीन शिक्षा प्रणाली है, जिसने आदिकाल से अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गुरुकुल में छात्रों को धार्मिक और नैतिक मूल्यों के साथ-साथ सामाजिक, ऐतिहासिक और आधुनिक ज्ञान प्रदान किया जाता है। यह पद्धति छात्रों को एक गुरु के पास जाने और वहां उनके पास रहकर अध्ययन करने का अवसर प्रदान करती है।

गुरुकुल में छात्रों को एक परिवार के सदस्य की तरह शिक्षित किया जाता है। वे गुरु द्वारा दी गई शिक्षा के अनुसार जीवन जीने का प्रयास करते हैं। गुरुकुल में छात्रों को संगठनशीलता, अनुशासन, धैर्य और आत्मविश्वास जैसे गुणों का विकास करने का अवसर मिलता है। यहां छात्रों का आध्यात्मिक, शारीरिक और बौद्धिक विकास सम्पूर्णतया संघटित रूप से होता है।

गुरुकुल में शिक्षा का प्राथमिक उद्देश्य छात्रों को अपने विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने, नई ज्ञान का अभ्यास करने और उसे जीवन में उपयोग करने की क्षमता प्रदान करना है। छात्रों के जीवन के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में उनकी प्रकृति के अनुसार उनकी प्राथमिकताएं, रुचियां और प्रतिभाएं विकसित करने के अवसर प्रदान किये जाते हैं।

गुरुकुल में छात्रों को विभिन्न शास्त्रों, काव्यों और ऐतिहासिक, आध्यात्मिक, धार्मिक आदि ग्रंथों का अध्ययन कराया जाता है। वे विद्यार्थी विभिन्न समूहों में अन्य छात्रों के साथ नियमित रूप से सामूहिक अध्ययन करते हैं और ज्ञान-विज्ञान की विविधता का अनुभव करते हैं। छात्रों को प्राकृतिक और वैज्ञानिक ज्ञान, गणित, विज्ञान, दर्शन, वाणिज्य और कला के क्षेत्र में भी शिक्षा प्रदान की जाती है।

गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति भारतीय सभ्यता और संस्कृति तथा मानवीय मूल्यों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अंग रही है। इसके माध्यम से छात्रों को स्वयंसेवा, विश्वास, समर्पण, त्याग और सद्भाव की महत्ता सिखाई जाती है। गुरुकुलीय शिक्षा आध्यात्मिकता, सभ्यता और संस्कृति के प्रति आदर्शों के साथ भारतीय मूल्यों के उदाहरण प्रस्तुत करती है। गुरुकुलीय शिक्षा का प्रचलन अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है और यह एक समृद्ध शिक्षा परंपरा का हिस्सा है जो हमारे देश के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विकास में मदद करती है।

गुरुकुल शिक्षा पद्धति में शिक्षा गुरु और छात्र के बीच सर्वोपरि होती है। गुरुकुल में छात्रों को शिक्षा, जीवन कौशल, और आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ स्वतंत्रता के महत्व को भी सिखाया जाता है। छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कृति, मूल्यों, और धार्मिक तत्वों को समझने का मौका मिलता है।

गुरुकुल शिक्षा की परंपरा में छात्रों को शिक्षा के लिए आध्यात्मिक आदर्शों, त्याग के महत्व, समर्पण की भावना, और श्रम का महत्व सिखाया जाता है। इसके अलावा, छात्रों को स्वस्थ जीवनशैली, योग, ध्यान, और धार्मिक आयाम का पालन करने की भी शिक्षा दी जाती है। गुरुकुल में छात्रों के बीच एक पारंपरिक गुरु-शिष्य सम्बन्ध होता है, जिसमें छात्रों को गुरु के आध्यात्मिक और शैक्षणिक निर्देशन प्राप्त होते हैं।

गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान छात्रों को अन्य कौशल भी सिखाए जाते हैं, जैसे कि योग, कृषि, ग्रंथों के संग्रह का प्रबंधन आदि। इससे छात्रों का संपूर्ण विकास होता है और वे समाज के लिए उपयोगी सदस्य बन पाते हैं।

हालांकि, दिन-प्रतिदिन बदलते समय के साथ-साथ गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति के प्रचलन में कमी आई है। आधुनिकता और प्रौद्योगिकी के आगमन ने शिक्षा प्रणाली में अत्यधिक परिवर्तन कर दिया है।
फिर भी, गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति की महत्ता और महिमा आज भी बनी हुई है। यह हमारी संस्कृति, धार्मिकता, और अद्यात्म के प्रतीक के रूप में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसलिए, हमें गुरुकुल शिक्षा के मूल्यों को समझना चाहिए और उसे आधुनिक समय के साथ अपनाने का प्रयास करना चाहिए।

गुरुकुल शिक्षा का एक अन्य महत्त्वपूर्ण गुण है समृद्ध संस्कृति के साथ विद्यालयों को संचालित करना। गुरुकुल में संस्कृत भाषा को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त होता है और छात्रों को संस्कृत भाषा का अध्ययन कराया जाता है। संस्कृत भाषा को सर्वोच्च मान्यता और महत्व दिया जाता है क्योंकि इसे हमारी पुरातन शास्त्रीय और धार्मिक ग्रंथों का मूल भाषा माना जाता है। गुरुकुल में संस्कृत भाषा के अध्ययन से छात्रों का मानसिक और भाषाई विकास होता है और वे अपनी संस्कृति के मूल तत्वों को समझने में सक्षम होते हैं।

गुरुकुल शिक्षा पद्धति में छात्रों को प्राकृतिक जीवन का अनुभव कराया जाता है। वे अक्सर गुरुकुल के आस-पास के प्राकृतिक पर्यावरण में वास करते हैं । यह छात्रों को प्रकृति के साथ अनुकूल बनाता है, उन्हें पर्यावरणीय जागरूकता प्रदान करता है, और उनके आस-पास के प्राकृतिक संसाधनों के सम्बंध में सजगता विकसित करता है।

आज के दौर में गुरुकुलीय शिक्षा की प्रतिष्ठा और महत्व अप्रत्याशित है। यह विद्यार्थियों को अद्यात्म, संस्कृति, शिक्षा, और जीवन मूल्यों की महत्वपूर्ण सीख सिखाती है तथा उन्नत और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करने में मदद करती है। गुरुकुलीय शिक्षा के माध्यम से हम अपने परंपरागत और सांस्कृतिक मूल्यों को संजोकर रख सकते हैं, जिससे विद्यार्थी न केवल शिक्षा में समृद्ध होते हैं, बल्कि मानवीय और आध्यात्मिक मूल्यों को भी समझते हैं। गुरुकुलीय शिक्षा एक ऐसी शिक्षा प्रणाली है, जो हमें अपनी मूल संस्कृति, विचारधारा, और धार्मिकता के साथ जोड़ती है और हमें उत्कृष्टता और संतुलन की ओर ले जाती है।
गुरुकुलीय शिक्षा भारतीय शिक्षा प्रणाली का महत्त्वपूर्ण हिस्सा रही है, और आज भी हमारे समाज के लिए एक मार्गदर्शक सिद्ध होती है। हमें गुरुकुल शिक्षा की महिमा को महसूस करना चाहिए और उसे हमारी शिक्षा प्रणाली में सम्मिलित करने के लिए प्रयास करना चाहिए। इसके माध्यम से हम न केवल शिक्षा को महत्त्व देते हैं, बल्कि अपने सांस्कृतिक, पारम्परिक, और धार्मिक मूल्यों को भी सम्मान देते हैं और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार, हम एक समृद्ध और समरसित समाज का निर्माण कर सकते हैं जो सामर्थ्यवान और आदर्शमय रहेगा।

आज भी, महर्षि दयानन्द के आदर्शों पर संचालित होने वाले अनेक आर्ष गुरुकुल आधुनिक शिक्षा के साथ साथ सांस्कृतिक, धार्मिक, पारम्परिक, और आध्यात्मिक शिक्षा के प्रचार प्रसार में अनवरत संलग्न हैं इन गुरुकुलों में पढ़ाये जाने वाले औपचारिक पाठ्यक्रम का विवरण इस कोर्स में दिया गया है।

Show More

Course Content

पूर्व मध्यमा-I (9वीं) / Class-9th

पूर्व मध्यमा-II (10वीं) / Class-10th

उत्तर मध्यमा-I (11वीं) / Class-11th

उत्तर मध्यमा-II (12वीं) / Class-12th

Student Ratings & Reviews

No Review Yet
No Review Yet

Want to receive push notifications for all major on-site activities?